Dialysis-ki-prakriya-1

उत्सर्जन में अन्य अंगों की भूमिका तथा वृक्क के विकार

वृक्क के अलावा फेफड़ा, यकृत और त्वचा भी उत्सर्जी अपशिष्टों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

फेफड़ा (Lungs)

हमारे फेफड़ा प्रतिदिन अधिक मात्रा में कार्बनडाइऑक्साइड (CO2) (लगभग 200 ml/मिनट) और जल की पर्याप्त मात्रा का निष्कासन करते हैं।

यकृत (Liver)

हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत ‘पित्त (Bile)’ का स्राव करती है जिसमें बिलिरुबिन, बिलीवर्डीन, कोलेस्ट्रॉल, निम्नीकृत स्टीरॉइड हॉर्मोन, विटामिन तथा औषधि आदि होते हैं। इन अधिकांश पदार्थों को अंततः मल के साथ बाहर निकाल दिया जाता है।

त्वचा (Skin)

वृक्क के विकार

(Disorders of the Excretory system)

Blood pumpBlood from arm(arterial side)Blood thinneradded to bloodDialysis fluid withtreated waterDialyser (artificial Kidney)Blood back to arm(venous side)Dialysis fluidwaste drain Bubble trap

रीनल केलकलाई

(Renal Calculi)

किडनी में बनी पथरी (Stone) या अघुलनशील क्रिस्टलित लवण के पिंड (Insoluble mass of crystallized salt- oxalates) आदि।

गुच्छ शोथ

(Glomerulonephritis)

किडनी के ग्लोमेरुलर में शोथ की प्रदाह (Inflammation of glomeruli of kidney)

ग्लायकोस्यूरिया (Glycosuria)

यूरिन में ग्लूकोस की उपस्थिति होना।

कीटोनूरिया (Ketonuria)

यूरिन में कीटोन बॉडी की उपस्थिति होना आदि।