PCT, DCT, हेनले लूप एवं संग्राहक नलिका के कार्य तथा निस्यंद को सांद्रण करने की क्रियाविधि
समीपस्थ संवलित नलिका-PCT
(Proximal convoluted tubule)
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यह नलिका सरल घनाकार ब्रश बॉर्डर उपकला (Simple cuboidal brush bordered epithelium) से बनी होती है जो पुनरावशोषण के लिए सतह क्षेत्र (Surface area) को बढ़ाती है।
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लगभग सभी आवश्यक पोषक तत्व, 70-80% वैधुत अपघट्य (Electrolyte) और जल का पुनः अवशोषण PCT द्वारा होता है।
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PCT शारीरिक तरलों के pH तथा आयनि संतुलन को इससे बनाये रखने के लिए हाइड्रोजन आयन और अमोनिया आयनों का फिल्ट्रेशन में स्रवण (Secretion) और HCO3 का पुनरावशोषण करती है।
हेनले-लूप
(Henle’s loop)
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आरोही भुजा (Ascending arm) में न्यूनतम पुनरावशोषण होता है। यह भाग मेडुला में उच्च अंतराकाशी तरल (Interstitial fluid) की परासारिता (Osmolarity) के नियम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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हेनले-लूप की अवरोही भुजा (Descending arm) जल के लिए अपारगम्य होती है, परन्तु वैधुत अपघट्य के लिए सक्रियता से पारगम्य होती है। यह नीचे की ओर जाते हुए निस्यंद को सांद्र करती है।
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आरोही भुजा जल के लिए अपारगम्य होती है, लेकिन वैधुत अपघट्य का अवशोषण सक्रिय या निष्क्रिय रूप से करती है।
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जैसे-जैसे सांद्र निस्यंद (छनित) ऊपर की ओर जाता है, वैसे-वैसे अपघट्य में मेडुला तरल (Medullary fluid) में जाने से निस्यंद तनु (Dilute) होता जाता है।
दूरस्थ संवलित नलिका-DCT
(Distal convoluted tubule)
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DCT द्वारा विशेष परिस्थिति में Na+ (सोडियम आयन) और जल का पुनरावशोषण होता है।
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DCT रक्त में सोडियम-पोटैसियम का संतुलन तथा pH बनाए रखने के लिए बाइकार्बोनेट का पुनरावशोषण एवं H+, K+ और अमोनिया का स्रवण करती है।
संग्राहक नलिका
(Collecting duct)
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यह लम्बी नलिका के कॉर्टेक्स से मेडुला के आंतरिक भाग तक फैली रहती है।
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मूत्र को जरूरत के अनुसार सांद्र करने के लिए जल का बड़ा हिस्सा इस भाग में अवशोषित किया जाता है।
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संग्रह नलिका मेडुला की अंतरकाशी की परासरणता (Osmolarity) को बनाये रखने के लिए यूरिया के कुछ भाग को वृक्क मेडुला तक ले जाता है।
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यह pH के नियमन तथा हाइड्रोजन आयन और पोटैसियम आयन का स्रवण द्वारा रक्त में आयनों का संतुलन बनाये रखने में मदद करता है।
समीपस्थ संवलित नलिका-PCT (proximal convoluted tubule)दूरस्थ संवलित नलिका-DCT (Distal convoluted tubule)पोषक (Nutrients)कॉर्टेक्स (Cortex)मेडूला (Medulla)हेनले लूप की अवरोही भुजा हेनले लूप की आरोही भुजासंग्राहक नलिका (Collecting duct)NaClHCO3H2ONH3K+NaClUreaH2ONaClNaClH2OH2OH+HCO3H+K+StudyNode
निस्यंद को सांद्रण करने की क्रियाविधि-
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स्तनधारी (Mammals) सांद्रित मूत्र (Concentrated urine) का उत्पादन करते हैं। इस कार्य में हेनले-लूप और वासा रेक्टा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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हेनले-लूप की दोनों भुजाओं का निस्यंद का विपरीत दिशाओं में प्रवाह होता है, जिससे प्रतिधारा (counter current) उत्पन्न होती है।
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वासा रेक्टा की दोनों भुजाओं में रक्त का बहाव भी प्रतिधारा पैटर्न में होता है।
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हेनले-लूप व वासा रेक्टा के बीच की नजदीकी तथा उनमें प्रतिधारा मेडुलरी अंतराकाश के परासरण दाब (osmotic pressure) को नियमित करती है।
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प्रसारण दाब मेडुला के बाहरी भाग से भीतरी भाग की ओर लगातार बढ़ता जाता है।
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जैसे- कॉर्टेक्स की ओर 300 mOsm/लीटर से आंतरिक मेडुला में लगभग 1200 mOsm/लीटर
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यह प्रवणता (gradient) सोडियम क्लोराइड तथा यूरिया के कारण बनती है।
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NaCl का परिवहन हेनले लूप की आरोही भुजा द्वारा होता है
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सोडियम क्लोराइड, अंतराकाश को वासा रेक्टा की आरोही भुजा द्वारा लौटा दिया जाता है।
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इसी तरह यूरिया की कुछ मात्रा हेनले-लूप के पतले आरोही भाग में विसरण द्वारा प्रविष्ट होती है जो संग्रह नलिका द्वारा अंतराकाशी को पुनः लौटा दी जाती है।
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इस प्रकार पदार्थों का परिवहन, हेनले-लूप तथा वासा रेक्टा की विशेष व्यवस्था द्वारा सुगम बनाया जाता है, जिसे प्रतिधारा क्रियाविधि (Counter current mechanism) कहते हैं।
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यह क्रियाविधि मेडुला के अंतराकाशी की प्रवणता (Gradient) को बनाए रखती है।
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यह प्रवणता संग्रह नलिका (Collecting duct) द्वारा जल के सहज अवशोषण में योगदान करती है और निस्यंद का सांद्रण करती है।
हमारा वृक्क प्रारंभिक निस्यंद की अपेक्षा लगभग चार गुना अधिक सांद्र मूत्र उत्सर्जित करते हैं, इसलिए यह क्रियाविधि जल के ह्रास (Water loss) रोकने का विधि है।