परिसंचरण तंत्र, प्रकार, एकल परिसंचरण, दोहरा परिसंचरण, मानव परिसंचरण तंत्र
परिसंचरण तंत्र
(Circulatory System)
परिसंचरण का अर्थ, किसी तत्व को एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन करना होता है। उच्च बहुकोशिकीय जंतुओं में आवश्यक पदार्थों की आपूर्ति एवं अनावश्यक पदार्थों का बहिष्करण सीधे कोशिका द्वारा न होकर एक विशेष तंत्र द्वारा होता है, जिसे परिसंचरण तंत्र कहा जाता है।
परिसंचरण तंत्र के प्रकार
(Types of circulatory system)
परिसंचरण तंत्र निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-
परिसंचरण तंत्र के प्रकार परिसंचरण तंत्र के प्रकार
खुला परिसंचरण तंत्र
(Open Circulatory System)
खुला परिसंचरण तंत्र…
बंद परिसंचरण तंत्र
(Closed Circulatory System)
बंद परिसंचरण तंत्र…- खुला परिसंचरण तंत्र में रक्त (हिमोलिम्फ)रक्त वाहिनियों (Blood vessels) में नहीं बहता है। हृदय द्वारा रक्त पम्प करने पर रक्त खुले स्थान और चैनलों द्वारा देहगुहा में स्वतंत्र रूप से बहता है, जिसे हीमोसील (रुधिर गुहा) भी कहते हैं। इसमें रक्त ऊत्तक कोशिकाओं के सीधे संपर्क में होता है और ऑक्सीजन वाहक वर्णक रक्त प्लाज्मा में घुले होते हैं।
- इसमें रक्त कम दाब तथा वेग से बहता है।
- इस प्रकार का परिसंचरण तंत्र अधिकतर इनवर्टिब्रेट्स में पाया जाता है। जैसे- आर्थोपोडा (प्रोन), ऐनेलिडा (जोंक) तथा मोलस्का etc. खुला परिसंचरण तंत्र में रक्त (हिमोलिम्फ)रक्त वाहिनियों (Blood vessels) में नहीं बहता है। हृदय द्वारा रक्त पम्प करने पर रक्त खुले स्थान और चैनलों द्वारा देहगुहा…- बंद परिसंचरण तंत्र में रक्त बंद वाहिनियों (Closed vessels) में गति करता है और ऊत्तक कोशिकाओं के सीधे संपर्क में नहीं आता है। रक्त परिसंचरण तंत्र धमनी (Artery) तथा शिराओं (Veins) का नेटवर्क है जिसके केंद्र में हृदय होता है।
- इसमें रक्त के अधिक तीव्र प्रवाह के लिए पर्याप्त रक्त दाब उत्पन्न किया जाता है।
- इस प्रकार का परिसंचरण तंत्र अधिकतर वर्टिब्रेटा में पाया जाता है। जैसे कॉर्डेटा तथा ऐनेलिडा (जोंक को छोड़कर) etc. बंद परिसंचरण तंत्र में रक्त बंद वाहिनियों (Closed vessels) में गति करता है और ऊत्तक कोशिकाओं के सीधे संपर्क में नहीं आता है। रक्त परिसंचरण तंत्र धमनी (…Text is not SVG - cannot display
एकल परिसंचरण
(Single Circulation)
एकल परिसंचरण मछलियों में पाया जाता है। एकल संचार प्रणाली में मछली के शरीर में एक पूर्ण सर्किट को पुरा करने के बाद ही रक्त हृदय से प्रवाहित होता है।
-
रक्त हृदय से गलफड़ों तक जाता है, जहाँ गैसों का आदान-प्रदान होता है।
-
कार्बनडाइऑक्साइड बाहर निकलता है और ऑक्सीजन अवशोषित होती है।
-
फिर गलफड़ों से ऑक्सीकृत रक्त (Oxygenated blood) शरीर के विभन्न भागों में प्रवाहित होता है तथा इन भागों से वापस हृदय में जाता है।
दोहरा परिसंचरण
(Double Circulation)
-
दोहरी परिसंचरण में रक्त का चक्र में दो बार हृदय से गुजरना होता है।
-
पहली बार शरीर का समस्त अनॉक्सीकृत रक्त (Deoxygenated blood) हृदय के दाहिने अलिंद (Right auricle) में एकत्रित होकर दाहिने निलय (Right ventricle) से होते हुए फेफड़े (Lungs) में ऑक्सीकृत (Oxygenated) होने जाता है।
-
ऑक्सीकृत होकर फेफड़े से रक्त पुनः हृदय के बाएं अलिंद (Left auricle) में फुफ्फुसीय शिराओं (Pulmonary veins) द्वारा एकत्रित होकर महाधमनी (Aorta) द्वारा समस्त शरीर में पम्प किया जाता है।
-
इस प्रकार के रक्त परिभ्रमण को ही दोहरा परिसंचरण कहते हैं।
-
दोहरा परिसंचरण संघ एम्फीबिया से मैमेलिया तक जीवों में पाया जाता है।
प्राणियों में हृदय के प्रकार
(Types of heart in animals)
Types of heart in animals Types of heart in animals
मछली (Fish)
मछली (Fish)- इसका हृदय दो कक्षों (2 Chambered) का बना होता है।
- इसमें एकल परिसंचरण होता है। इसमें हृदय सिर्फ अनॉक्सीकृत (Deoxygenated) रक्त पम्प करता है
- इसके हृदय में एक अलिंद एवं एक निलय पाया जाता है। इसका हृदय दो कक्षों (2 Chambered) का बना होता है। इसमें एकल परिसंचरण होता है। इसमें हृदय सिर्फ अनॉक्सीकृत (Deoxygenated) रक्त पम्प करता है…
उभयचर (Amphibia)
उभयचर (Amphibia)- इसका हृदय तीन कक्षों (3 chambered) का बना होता है।
- इसके हृदय में दो अलिंद तथा एक ही निलय होते हैं।
- उभयचरों व सरीसृपों में बायाँ अलिंद क्लोम/फेफड़ो/त्वचा से ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करता है तथा दाहिना अलिंद शरीर के दूसरे भागों से अनॉक्सीकृत रक्त प्राप्त करता है, लेकिन वे रक्त को निलय में मिश्रित क्र बाहर की ओर पम्प करते हैं।
- इस प्रक्रिया को अपूर्ण दोहरा परिसंचरण (Incomplete double circulation) कहते हैं। इसका हृदय तीन कक्षों (3 chambered) का बना होता है। इसके हृदय में दो अलिंद तथा एक ही निलय होते हैं। उभयचरों व सरीसृपों में बायाँ अलिंद क्लोम/फेफड़ो/त्वचा से ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करता है तथा दाहिना अलिंद शरीर के दूसरे भागों से अनॉक्सीकृत रक्त प्राप्त…
रेप्टेलिया
(Reptiles)
रेप्टेलिया…- इसका हृदय तीन कक्षों का बना होता है। (मगरमच्छ को छोड़कर), क्योंकि मगरमच्छ में चार कक्ष का हृदय होते हैं।
- इसके हृदय में दो अलिंद तथा दो अपूर्ण निलय होते हैं। इसलिए तीन कक्षीय ही माना जाता है।
- इसमें अपूर्ण दोहरा परिसंचरण होता है।
- यह मिश्रित रक्त पम्प करता है। इसका हृदय तीन कक्षों का बना होता है। (मगरमच्छ को छोड़कर), क्योंकि मगरमच्छ में चार कक्ष का हृदय होते हैं। इसके हृदय में दो अलिंद तथा दो अपूर्ण निलय होते हैं। इसलिए तीन कक्षीय ही माना जाता है। इसमें अपूर्ण दोहरा परिसंचरण होता है। यह मिश्रित रक्त पम्प करता है। - इसका हृदय चार कक्षों का बना होता है।
- इसमें पूर्ण दोहरा परिसंचरण होता है।
- इसमें ऑक्सीकृत तथा अनॉक्सीकृत रक्त अलग-अलग पम्प होता है। इसमें दो अलिंद तथा दो निलय पूर्ण होते हैं। इसका हृदय चार कक्षों का बना होता है। इसमें पूर्ण दोहरा परिसंचरण होता है। इसमें ऑक्सीकृत तथा अनॉक्सीकृत रक्त अलग-अलग पम्प होता है। इसमें दो अलिंद तथा दो निलय पूर्ण होते हैं।
**पक्षी & मैमल्स
(Birds & Mammals)
**
पक्षी & मैमल्स…Text is not SVG - cannot display
मानव परिसंचरण तंत्र
(Human Circulatory System)
मानव परिसंचरण तंत्र में चार कक्षों (4 Chambers) से बना पेशी हृदय बंद रक्त वाहिनियों (Closed blood vessels) का एक जाल (नेटवर्क) होता है। जिसमें रक्त एवं अन्य तरल पदार्थ का परिवहन होता है। रक्त परिसंचरण तंत्र द्वारा शरीर की सभी कोशिकाओं तक प्रयुक्त पोषक तत्व, ऑक्सीजन, जल, हॉर्मोन्स तथा एंजाइम को पहुँचाया जाता है।
मानव हृदय
(Human Heart)
हृदय पेशीय,संकुचनशील तथा स्वतः पम्पिंग अंग (Organ) है। हृदय की उत्पत्ति (Origin) मिसोडर्मल होती है। इसका वह भाग जो शरीर के उत्तकों से रुधिर ग्रहण करता है, अलिंद(Auricle) कहलाता है तथा वह भाग जो उत्तकों में रुधिर पम्प करता है, निलय (Ventricle) कहलाता है।
-
मानव हृदय का भार लगभग 250-300 gm होता है।
-
यह एक मिनट में 72 बार धड़कती है।
-
हृदय का अध्ययन कार्डियोलॉजी कहलाता है।
-
यह दोनों फेफड़ों के मध्य, वक्ष गुहा(Thoracic cavity) में स्थित रहता है तथा थोड़ा-सा बायीं ओर झुका होता है।
-
हृदय रक्त को पम्प करने का कार्य करता है।
हृदय की बनावट
-
यह बंद मुट्ठी के आकर का होता है।
-
हृदय एक दोहरी भित्ति के झिल्लीमय थैली, पेरीकार्डियम (Pericardium) द्वारा सुरक्षित होती है।
-
इस पेरीकार्डियम के बीच द्रव पाया जाता है जिसे पेरिकार्डियल द्रव (Pericardial fluid) कहा जाता है।
-
पेरिकार्डियल द्रव हृदय को धक्को से सुरक्षा करता है
-
मानव हृदय में चार कक्षों (4 Chambers) होते हैं।
-
जिसमें दो कक्ष अपेक्षाकृत छोटे तथा ऊपर पाए जाते हैं, जिन्हें अलिंद (Auricle) कहते हैं तथा दो कक्ष अपेक्षाकृत बड़े होते हैं तथा नीचे पाए जाते हैं, जिन्हें निलय (Ventricle) कहते हैं।
-
निलयों की भित्ति (Wall) अलिंदों की भित्ति से बहुत मोटी होती है।
दायाँ अलिंद
(Right auricle)
-
दायाँ अलिंद में सुपीरियर वेनाकावा (Superior Vena Cava ) एवं इन्फीरियर वेनाकावा (Inferior Vena Cava) से अनॉक्सीकृत रक्त (Deoxygenated blood) आता है। दायाँ अलिंद, दायाँ निलय में दायें अलिंद निलय छिद्र (Auriculo-ventricular aperture) द्वारा खुलता है। इसमें ट्राइकस्पिड वाल्व (Tricuspid valve) होता है।
-
ट्राइकस्पिड वाल्व, दायाँ अलिंद से दाएं निलय की ओर रक्त के विपरीत प्रवाह को रोकती है।
दायाँ निलय
(Right ventricle)
-
रक्त दायाँ अलिंद से ट्राइकस्पिड वाल्व के माध्यम से दायाँ निलय में आती है तथा फुफ्फुसीय धमनी (Pulmonary artery) द्वारा फेफड़ों में पहुँचती है। यह एक मात्र धमनी (Artery) है जिसमें अनॉक्सीकृत रक्त प्रवाह करती है।
-
दायाँ निलय तथा फुफ्फुसीय धमनी के बीच अर्धचन्द्राकार वाल्व (Semilunar valve) होती है जो रक्त के विपरीत प्रवाह को रोकती है।
बायाँ अलिंद
(Left auricle)
-
रक्त फुफ्फुसीय धमनी द्वारा फुफ्फुस (Lungs) में आती है और वहाँ ऑक्सीकृत (Oxygenated) होकर पुनः फुफ्फुसीय शिरा (Pulmonary veins) के द्वारा हृदय में आती है। फुफ्फुसीय शिरा में वाल्व नहीं पाया जाता है।
-
बायाँ अलिंद, बायाँ निलय में बाएं अलिंद-निलय छिद्र (Auriculo-ventricular aperture) द्वारा खुलता है। इसमें बाइकस्पिड वाल्व (Bicuspid valve) अथवा मिट्रल वाल्व (Mitral valve) होता है।
-
यह वाल्व रक्त के विपरीत प्रवाह को रोकता है।
बायाँ निलय
(Left ventricle)
रक्त बायाँ अलिंद से बाइकस्पिड वाल्व द्वारा बायीं निलय में आती है था बायाँ निलय से बड़ी रक्त नलिका निकलती है जिसे महाधमनी (Aorta) कहते हैं। महाधमनी द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीकृत रक्त (Oxygenated blood) प्रवाहित होती है।