पाचन की प्रक्रिया,अवशोषण एवं पाचन तंत्र के विकार
पाचन की प्रक्रिया
(Process of Digestion)
पाचन की प्रक्रिया एक यांत्रिक एवं रासायनिक (Mechanical and Chemical) प्रक्रिया होती है। यांत्रिक विधि द्वारा भोजन को काटना, चबाना एवं पिसना होता है तथा रासायनिक प्रक्रिया द्वारा भोजन का पाचन की क्रिया होती है।
Food(1.) भोजन का अन्तर्ग्रहण (ingestion of food)(2.) चबाना (Mastication) (3.) निगलना (Deglutition) (4.) पेट में मंथन (Churning in Stomach)(5.) भोजन का पाचन (Digestion of Food)(6.) भोजन का अवशोषण (Absorption of food)(7.) भोजन का समावेश (Assimilation of food)बोलस (Bolus)-लार के साथ चबाया हुआ भोजन मथना (Churning) काइम(Chyme)- पेट में अम्लीय भोजनकाइल (Chyle)-आंत में क्षारीय भोजनHCL(8.)मलत्याग (Defecation)मल (feces)
पाचन की प्रक्रिया
(Process of digestion)
पाचन की प्रक्रिया…- जब भोजन मुँह में आती है तो मुखगुहा द्वारा भोजन को चबाना और निगलने का कार्य होता है और जीभ भोजन को अच्छी तरह चबाने तथा निगलने में मदद करती है। जब भोजन मुँह में आती है तो मुखगुहा द्वारा भोजन को चबाना और निगलने का कार्य होता है और जीभ भोजन को अच्छी तरह चबाने तथा निगलने में मदद करती है। - लार का श्लेष्मा भोजन के कणों को चिपकाने एवं बोलस (Bolus) के रूप बनाने में मदद करता है। इसके बाद निगलने की क्रिया (Swallowing) द्वारा बोलस ग्रसनी (Pharynx) से ग्रसिका (Esophagus) में जाता है। लार का श्लेष्मा भोजन के कणों को चिपकाने एवं बोलस (Bolus) के रूप बनाने में मदद करता है। इसके बाद निगलने की क्रिया (Swallowing)…- Bolus पेशीय संकुचन (Muscle Contraction) के क्रमाकुंचन (Peristalsis) द्वारा ग्रसिका में आगे बढ़ता है। जठर-ग्रसिका अवरोधनी (Gastroesophageal sphincter) भोजन के अमाशय में प्रवेश को नियंत्रित करती है। Bolus पेशीय संकुचन (Muscle Contraction) के क्रमाकुंचन (Peristalsis)…- लार में इलेक्ट्रोलाइट्स (Na+, K+, Cl-, Hco3) और एंजाइम Salivary Amylase तथा Lysozyme होते हैं। पाचन की रासायनिक प्रक्रिया (Chemical Process) मुखगुहा से एंजाइम टायलिन (जिसे Salivary amylase भी कहा जाता है) की सक्रियता से प्रारम्भ होती है। लार में इलेक्ट्रोलाइट्स (Na+, K+, Cl-, Hco3) और एंजाइम Salivary Amylase…- टायलिन (Ptylin) स्टार्च को माल्टोज में बदलती है। टायलिन (Ptylin) स्टार्च को माल्टोज में बदलती है।
मुखगुहा में (In oral cavity)
मुखगुहा में…
आमाशय में (In Stomach)
आमाशय में…- आमाशय की म्यूकोसा में स्थित जठर ग्रंथियाँ म्यूकस नेक सेल -म्यूकस, पेप्टिक या चीफ सेल-प्रोएनज़ाइम पेप्सिनोजेन तथा Oxyntic cell-HCL और Castle’s Intrinsic factor स्रावित करती है। आमाशय की म्यूकोसा में स्थित जठर ग्रंथियाँ म्यूकस नेक सेल -म्यूकस, पेप्टिक या चीफ सेल-प्रोएनज़ाइम पेप्सिनोजेन तथा Oxyntic cell-HCL और Cas…- आमाशय में 4-5 घंटे तक भोजन को Store करता है। आमाशय की पेशीय दीवार के संकुचन (Contraction) द्वारा भोजन अम्लीय जठर रस (Gastric juice) में पूरी तरह मिल जाता है। जिसे क़ाइम (Chyme) कहा जाता है। आमाशय में 4-5 घंटे तक भोजन को Store करता है। आमाशय की पेशीय दीवार के संकुचन (Contraction) द्वारा भोजन अम्लीय…- Pepsinogen HCL acid के सम्पर्क में आने से सक्रिय (Active) एंजाइम पेप्सिन में बदल जाता है जो आमाशय का Protein digestive enzyme है Pepsinogen HCL acid के सम्पर्क में आने से सक्रिय (Active) एंजाइम पेप्सिन में बदल जाता है जो…- पेप्सिन प्रोटीनों को प्रोटियोज तथा पेप्टोंस में बदल देता है।
- HCL acid पेप्सिनों के लिए अम्लीय माध्यम (Acidic medium) pH - 1.8 बनाता है। पेप्सिन प्रोटीनों को प्रोटियोज तथा पेप्टोंस में बदल देता है। HCL acid पेप्सिनों के लिए अम्लीय माध्यम (Acidic medium) pH -…
छोटी आंत में (Small intestine)
छोटी आंत में…- छोटी आंत का Muscular layer कई तरह की गतियाँ उत्पन्न करता है। इन गतियों से भोजन विभिन्न स्रावों में अच्छी तरह मिल जाता है और पाचन की क्रिया सरल हो जाती है। छोटी आंत का Muscular layer कई तरह की गतियाँ उत्पन्न करता है। इन गतियों से भोजन विभिन्न स्रावों में अच्छी तरह मिल जाता है और पाचन की क्रिया सरल हो…- Hepato-Pancreatic डक्ट द्वारा पित्त (Bile), Pancreatic juice, Intestinal juice छोटी आंत में छोड़े जाते हैं। Pancreatic juice में ट्रिप्सिनोजेन, काइमोट्रिप्सिनोजेन,प्रोकार्बोक्सीपेप्टिडेस,एमाइलेज और न्यूक्लिएज एंजाइम inactive रूप में होते हैं। Hepato-Pancreatic डक्ट द्वारा पित्त (Bile), Pancreatic juic…- Intestinal mucosa द्वारा स्रावित एन्टेरोकाइनेज द्वारा ट्रिप्सिनोजन Active Trypsin में बदल जाता है जो pancreatic जूस के inactive एंजाइम को active करता है। ग्रहणी (Duodenum) में प्रवेश करने वाले पित्त वर्णक (Bile pigment - बिलिरुबिन, बिलिवर्डीन), पित्त लवण, कोलेस्टेरॉल और फोस्फोलिपिड होते हैं। ये सभी एंजाइम नहीं होता। Intestinal mucosa द्वारा स्रावित एन्टेरोकाइनेज द्वारा ट्रिप्सिनोजन Active Trypsin में बदल जाता है जो panc…- पित्त वसा के इमल्सीकरण में मदद करता है और उसे बहुत छोटे मिसेल कणों में तोड़ता है। पित्त लाइपेज एंजाइम को भी Active करता है। पित्त वसा के इमल्सीकरण में मदद करता है और उसे बहुत छोटे मिसेल कणों में तोड़ता है। पित्त लाइपेज एंजाइम को भी Active करता है। - आंत के म्यूकस एपिथेलियम गॉब्लेट कोशिका और म्यूकोसा के ब्रश बॉर्डर कोशिका के स्राव स्राव आपस में मिलकर आंत्र स्राव (intestinal secretion)-सक्कस एंटेरिकस बनाते हैं। आंत के म्यूकस एपिथेलियम गॉब्लेट कोशिका और म्यूकोसा के ब्रश बॉर्डर कोशिका के स्राव स्राव आपस में मिलकर आंत्र स्राव (intestinal secretion)-सक्कस एंटेरिकस बनाते…- इस रस में कई तरह के एंजाइम होते हैं- ग्लाइकोसिडेज, डायपेप्टिडेज, एस्टरेज, न्यूक्लियोसिडेज etc. म्यूकस अग्न्याशय के बाइकार्बोनेट के साथ मिलकर आंत्र म्यूकोसा की अम्ल के दुष्प्रभाव से रक्षा करता है तथा एंजाइम की सक्रियता के लिए आवश्यक क्षारीय माध्यम (Alkaline medium- 7.8) बनाता है। इस प्रक्रिया में सबम्यूकोसल ब्रूनर ग्रंथि भी मदद करती है। इस रस में कई तरह के एंजाइम होते हैं- ग्लाइकोसिडेज, डायपेप्टिडेज, एस्टरेज, न्यूक्लियोसिडेज etc. म्यूकस अग्न्याशय के बाइकार्बोनेट के साथ मिलकर आंत्र म्यूकोसा की अम्ल के दुष्प्रभाव से रक्षा करता है तथा एंजाइम की सक्रियता के लिए आवश्यक क्षारीय माध्यम…Text is not SVG - cannot display
प्रोटीन का पाचन
(Digestion of protein)
आंत में पहुंचने वाले काइम में उपस्थित प्रोटीन, प्रोटियोज और पेप्टोन अग्न्याशय रस के प्रोटीन अपघटनीय एंजाइम निम्न रूप से क्रिया करते हैं-
प्रोटीन पेप्टोन प्रोटियोज प्रोटीन…ट्रिप्सिन/काइमोट्रिप्सिन ट्रिप्सिन/काइमोट्रिप्सिन कार्बोक्सीपेप्टिडेज कार्बोक्सीपेप्टिडेज डायपेप्टाइड डायपेप्टाइड Text is not SVG - cannot display
स्टार्च का पाचन
(Digestion of Starch)
काइम के कार्बोहाइड्रेट अग्न्याशयी एमाइलेज द्वारा डायसैकेराइड में जलापघटित होते हैं।
स्टार्च (पॉलिसैकेराइड)
स्टार्च…एमाइलेज एमाइलेज
माल्टोज (डाइसैकेराइड)
माल्टोज (डाइसैकेराइड)Text is not SVG - cannot display
वसा का पाचन
(Digestion of Fat)
वसा पित्त की मदद से लाइपेज द्वारा डाई और मोनोग्लिसरॉइड में टूटते हैं।
वसा वसा लाइपेज लाइपेज डाइग्लिसराइड डाइग्लिसराइड मोनोग्लिसराइड मोनोग्लिसराइड Text is not SVG - cannot display
न्यूक्लिक एसिड का पाचन
(Digestion of Nucleic acid)
अग्न्याशय रस के न्युक्लिएज न्यूक्लिक एसिड को न्यूक्लियोटाइड और न्यूक्लियोसाइड में पचाते हैं।
न्यूक्लिक अम्ल न्यूक्लिक अम्ल न्युक्लिएज न्युक्लिएज न्यूक्लियोटाइड न्यूक्लियोटाइड न्यूक्लियोसाइड न्यूक्लियोसाइड Text is not SVG - cannot display
आंत्र रस के एंजाइम उपर्युक्त अभिक्रियाओं के अंतिम उत्पादों को पाचित कर अवशोषण योग्य सरल बनाता है। पाचन का अंतिम चरण आंत के म्यूकोसल उपकला (Mucosal epithelium) के समीप संपन्न होते हैं।
डाइपेप्टाइड डाइपेप्टाइड डाइपेप्टाइडेज डाइपेप्टाइडेज एमिनो अम्ल एमिनो अम्ल माल्टोज माल्टोज माल्टेज माल्टेज ग्लूकोज + ग्लूकोज ग्लूकोज + ग्लूकोज लैक्टोज लैक्टोज लैक्टेज लैक्टेज ग्लूकोज + गैलेक्टोज ग्लूकोज + गैलेक्टोज सुक्रोज सुक्रोज सुक्रेज सुक्रेज ग्लूकोज + फ्रुक्टोज ग्लूकोज + फ्रुक्टोज न्यूक्लियोटाइडेज न्यूक्लियोटाइडेज शर्करा + क्षारक शर्करा + क्षारक न्यूक्लियोटाइड न्यूक्लियोटाइड न्यूक्लियोसाइड न्यूक्लियोसाइड न्यूक्लियोसाइडेज न्यूक्लियोसाइडेज डाय और मोनोग्लिसराइड डाय और मोनोग्लिसराइड लाइपेज लाइपेज वसीय अम्ल + ग्लिसेरॉल वसीय अम्ल + ग्लिसेरॉल Text is not SVG - cannot display
इस तरह सरल पदार्थ छोटी आंत में अवशोषित होते हैं। अपचित तथा अनावशोषित पदार्थ (Undigested substances) बड़ी आंत में चले जाते हैं। बड़ी आंत में महत्वपूर्ण पाचन क्रिया नहीं होती है।
बड़ी आंत का कार्य
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जल, खनिज एवं औषधि का अवशोषण
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श्लेष्मा का स्राव जो अपचित (Undigested) उत्सर्जी पदार्थ कणों को चिपकाने और स्नेहन (Lubrication) होने के कारण उनका बाह्य निकास आसन बनाता है। अपचित और अवशोषित पदार्थों को मल कहते हैं जो मल त्यागने से पहले तक मलाशय (Rectum) में जमा रहता है।
तंत्रिका नियंत्रण
भोज्य पदार्थों को देखने, उनकी गंध और मुखगुहा की लार ग्रंथियों को स्राव के लिए उद्दीपित (Stimulate) तंत्रिका तंत्र द्वारा होता है। आहारनाल में पेशियों की सक्रियता भी स्थानीय एवं केंद्रीय तंत्रिकीय क्रियाओं द्वारा नियंत्रण होता है।
हार्मोनल नियंत्रण में जठर और आंत्रिक म्यूकोसा (Intestinal mucosa) से निकलने वाले हॉर्मोन पाचक रसों के स्राव को नियंत्रित करते हैं।
भोजन का अवशोषण
(Absorption of Food)
अवशोषण वह प्रक्रिया है, जिसमे पाचन से प्राप्त उत्पाद intestinal mucosa से निकलकर रक्त (Blood) या लसीका (Lymph) में प्रवेश करते हैं। यह सक्रिय, निष्क्रिय एवं परिवहन (Active, inactive & Transportation) क्रिया द्वारा संपन्न होता है।
भोजन का अवशोषण भोजन का अवशोषण
मुखगुहा
(Oral cavity)
मुखगुहा (Oral cavity)- कुछ औषधि जो मुख और जिह्वा के निचली सतह के म्यूकोसा के सम्पर्क में आती है। वे रुधिर कोशिकाओं में अवशोषित हो जाती है।
- मुखगुहा में एल्कोहॉल, कुछ औषधि जैसे- एस्प्रिन, डिस्प्रिन कुछ औषधि जो मुख और जिह्वा के निचली सतह के म्यूकोसा के सम्पर्क में आती है। वे रुधिर कोशिकाओं में अवशोषित हो जाती है। मुखगुहा में एल्कोहॉल, कुछ औषधि जैसे- एस्प्रिन, डिस्प्रिन
आमाशय (Stomach)
आमाशय…- आमाशय में एल्कोहॉल, कुछ औषधि (एस्प्रिन, डिस्प्रिन), जल, सरल शर्करा तथा कुछ आयन्स- Na+, Fe2+ etc. आमाशय में एल्कोहॉल, कुछ औषधि (एस्प्रिन, डिस्प्रिन), जल, सरल शर्करा तथा कुछ आयन्स- Na+, Fe2+ etc.
छोटी आंत (Small intestine)
छोटी आंत…
बड़ी आंत (Large intestine)
बड़ी आंत…- यहाँ पाचन की क्रिया पूरी होती है और पाचन के अंतिम उत्पाद जैसे- ग्लूकोज, फ्रुक्टोज, वसीय अम्ल, ग्लिसेरॉल और अमीनो अम्ल का म्यूकोसा द्वारा रक्त प्रवाह और लसीका में अवशोषण होता है
- डुओडेनम (Duodenum) में अधिकतम पाचन होता है।
- जेजुनम तथा इलियम में अधिकतम अवशोषण होता है। यहाँ पाचन की क्रिया पूरी होती है और पाचन के अंतिम उत्पाद जैसे- ग्लूकोज, फ्रुक्टोज, वसीय अम्ल, ग्लिसेरॉल और अमीनो अम्ल का म्यूकोसा द्वारा रक्त प्रवाह और लसीका में अवशोषण होता है डुओडेनम (Duodenum) में अधिकतम पाचन होता है।…- जल, कुछ खनिजों और औषधि का अवशोषण होता है जल, कुछ खनिजों और औषधि का अवशोषण होता है Text is not SVG - cannot display
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ग्लूकोज, एमिनो अम्ल, क्लोराइड आयन आदि की थोड़ी मात्रा सरल विसरण (Simple diffusion) द्वारा रक्त में पहुँच जाती है। इन पदार्थों का रक्त में पहुंचना Concentration gradient पर नर्भर करता है।
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ग्लूकोज और एमिनो अम्ल जैसे कुछ पदार्थ वाहक प्रोटीन (Carrier protein) की मदद से अवशोषित होते हैं। इस क्रिया को सुसाध्य परिवहन कहते हैं।
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जल का परिवहन परासरणी प्रवणता (Osmotic gradient) पर निर्भर करता है। Active transport Osmotic gradient के विरुद्ध होता है, जिसके लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। एमिनो अम्ल, ग्लूकोस और सोडियम आयन का रक्त में अवशोषण इसी क्रियाविधि द्वारा होता है।
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वसा अम्ल और ग्लिसेरॉल अविलेय होने के कारण रक्त में अवशोषित नहीं हो पते हैं। सर्वप्रथम ये विलेय सूक्ष्म बूंदो में समाविष्ट (Include) होकर intestinal mucosa में चले जाते हैं, जिसे मिसेल (Micelles) कहते हैं।
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यहाँ सूक्ष्म वसा गोलिका में पुनः transmitted होकर Villi की लसिका वाहिनियों (लेक्टियल्स) में चले जाते हैं। ये लसीका वाहिकाएँ अवशोषित पदार्थों को रक्त प्रवाह में छोड़ देती है।
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पदार्थों का अवशोषण आहारनाल के मुख, आमाशय, छोटी आंत और बड़ी आंत में होता है। लेकिन सबसे अधिक अवशोषण छोटी आंत में होता है।
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अवशोषित पदार्थ अंत में उत्तकों (Tissues) में पहुँचते हैं और विभिन्न कार्यों के उपयोग में लाए जाते हैं। इस प्रक्रिया को स्वांगीकरण (Assimilation) कहते हैं।
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पाचक अवशिष्ट मलाशय में मल बन जाता है और Neural reflex शुरू होने पर मलत्याग की इच्छा होती है। मलद्वार से मल बहिक्षेपण होती है। यह एक ऐच्छिक क्रिया है।
पाचन तंत्र के विकार
(Disorders of digestive system)
आंत्र नलिका का शोथ (Inflammation) जीवाणुओं और विषाणुओं (Bacteria & Virus) के संक्रमण (Infection) से होने वाला एक सामान्य विकार है। आंत्र का संक्रमण परजीवियों (Parasites), जैसे- फीता कृमि (Tapeworm), गोलकृमि (Roundworm), सूत्रकृमि (Threadworm), हुकवर्म (Hookworm), पिन वर्म (Pinworm) etc. से भी होता है।
पीलिया
(Jaundice)
इसमें यकृत प्रभावित होता है। पीलिया में त्वचा और आँख पित्त वर्णकों के जमा होने से पीले रंग के दिखाई देते हैं।
वमन/उल्टी
(Vomiting)
यह आमाशय में संग्रहित पदार्थों का मुख से बाहर निकलने की क्रिया है। यह प्रतिवर्ती क्रिया मेडुला में स्थित वमन केंद्र (Vomiting center) से नियंत्रित होती है। उल्टी से पहले बेचैनी की अनुभूति होती है।
डायरिया
(Diarrhoea)
आंत्र (Bowel) की असामान्य गति की बारम्बारता और मल का अत्यधिक पतला हो जाना प्रवाहिका (Diarrhoea) कहलाता है। इसमें भोजन अवशोषण की क्रिया घट जाती है।
कब्ज
(Constipation)
कब्ज में बड़ी आंत में मल रुक जाता है और आंत्र की गतिशीलता अनियमित हो जाती है।
PEM
(Protein Energy Malnutrition)
आहार में प्रोटीन एवं सम्पूर्ण आहार कैलोरी की अपर्याप्त मात्रा, दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिणी अमेरिका तथा पश्चिमी एवं मध्य अफ्रीका के अनेक कम विकसित क्षेत्रों में विस्तृत समस्या है। PEM शिशुओं एवं बच्चों को प्रभावित करता है तथा मरास्मस एवं क्वाशिओरकर रोग उत्पन्न करता है।
मरास्मस
(Marasmus)
प्रोटीन और कैलोरी दोनों की एक साथ कमी से उत्पन्न होता है। यह रोग 1 वर्ष से कम आयु के शिशुओं में पाया जाता है। इसका मुख्य कारण शिशु को माँ के दूध के स्थान पर अल्प प्रोटीन और कम कैलोरी मान वाले आहार को देना है। इसमें बच्चों का हाथ-पैर एवं शरीर पतले, शुष्क, झुर्रीदार तथा कंकाल जैसे हो जाते हैं तथा मस्तिष्क की वृद्धि एवं विकास भी मंद हो जाता है।
क्वाशिओरकर
(kwashiorkor)
यह प्रोटीन की कमी से उत्पन्न विकार है। यह 1 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों का पोषण माँ के दूध के स्थान पर उच्च कैलोरी परन्तु अल्प प्रोटीन वाला आहार देने से होता है। इसमें हाथ-पैर पतले हो जाते हैं तथा मस्तिष्क की वृद्धि एवं विकास रुक जाता है। परन्तु मरास्मस क्व विपरीत त्वचा के निचे कुछ वसा (Fat) बची रहती है, परन्तु शरीर के अलग-अलग भागों में अत्यधिक शोथ (Inflammation) एवं सूजन (Swelling) देखा जाता है।