मूत्र निर्माण, ग्लोमेरूलर फिल्ट्रेशन, पुनः अवशोषण तथा स्रवण
मूत्र निर्माण
(Urine Formation)
मूत्र निर्माण में मुख्य तीन प्रक्रियाएँ सम्मिलित हैं- गुच्छीय निस्यंदन (Glomerular filtration), पुनः अवशोषण (Reabsorption),एवं स्रवण (Secretion) जो नेफ्रॉन में विभिन्न भागों में होता है।
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गुच्छीय निस्यंदन (Glomerular Filtration)
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पुनः अवशोषण (Reabsorption)
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स्रवण (Secretion)
गुच्छीय निस्यंदन
(Glomerular Filtration)
मूत्र निर्माण के प्रथम चरण में केशिका गुच्छ द्वारा रक्त का फिल्ट्रेशन होता है जिसे जिसे गुच्छीय निस्यंदन या ग्लोमेरुलस फिल्ट्रेशन कहते हैं।
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वृक्कों द्वारा प्रति मिनट लगभग 1100-1200 ml रक्त का फिल्ट्रेशन किया जाता है जो हृदय द्वारा एक मिनट में निकाले गए रक्त के 1/5 वें भाग के बराबर होता है।
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ग्लोमेरुलस की केशिकाओं का रक्त दाब रक्त को तीन परतों (three layers) में से फिल्ट्रेट करता है।
ये तीन परत निम्नलिखित है-
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ग्लोमेरुलस की रक्त केशिका की **आंतरिक उपकला (**inner epithelium)
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बोमेन कैप्सूल की उपकला (epithelium of bowman’s capsule)
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इन दोनों परतों के बीच पाई जाने वाली झिल्ली (Membrane)
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बोमेन कैप्सूल की उपकला कोशिकाएँ पोडोसाइट्स कहलाती है, पोडोसाइट्स में कुछ छोटे-छोटे अवकास बीच में रहते हैं। इन्हें फिल्ट्रेशन छिद्र (स्लीटपोर) कहते हैं।
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रक्त को इस तरह से फ़िल्टर किया जाता है की प्रोटीन को छोड़कर, प्लाज्मा के सभी घटक बोमेन कैप्सूल तक पहुँच जाते हैं।
अभिवाही धमनिका(Afferent arteriole)अपवाही धमनिका(Efferent arteriole)ग्लोमेरुलस(Glomerulus)बोमेन संपुट(Bowman’s capsule)समीपस्थ संवलित नलिका-PCT (Proximal convoluted tubule)StudyNode
ग्लोमेरूलर फिल्ट्रेशन रेट-(GFR)
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वृक्कों द्वारा प्रति मिनट फिल्ट्रेट की गई मात्रा ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट कहलाती है।
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एक स्वस्थ व्यक्ति में यह दर 125 ml/मिनट या 180 लीटर/दिन होता है।
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ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन में गिरावट होने से ग्लोमेरुलर केशिकाओं को रेनिन के स्रवण को सक्रिय करती है जो वृक्कीय रक्त प्रवाह (Renal blood circulation) को बढ़ाकर ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट को पुनः सामान्य करती है।
पुनः अवशोषण
(Reabsorption)
ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन से प्राप्त फिल्ट्रेट का लगभग 99% फिल्ट्रेट (निस्यंद) को वृक्क नलिकाओं (Renal tubules) द्वारा पुनः अवशोषित कर लिया जाता है, जिसे पुनः अवशोषण कहते हैं।
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यह सक्रिय अथवा निष्क्रिय परिवहन (Active or Inactive transport) द्वारा क्रिया द्वारा करती है।
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ग्लूकोज़, अमीनो एसिड, Na+ आदि का सक्रिय परिवहन से पुनरावशोषित (Reabsorption) होता है।
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नाइट्रोजनी का निष्क्रिय परिवहन से पुनरावशोषित होता होता है।
स्रवण (Secretion)
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मूत्र निर्माण के दौरान नलिकाकार केशिकाएँ फिल्ट्रेशन में हाइड्रोजन आयन, पोटैशियम आयन तथा अमोनिया जैसे पदार्थों को स्रावित करती है।
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नलिकाकार स्रवण प्रक्रिया से आयनिक, अम्ल-क्षार और शरीर के अन्य तरल पदार्थों का संतुलन बना रहता है।
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स्रावित आयन निस्पंद (filtered) के साथ मिलकर मूत्र बनाते हैं
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मूत्र नेफ्रॉन नलिका से निकलकर एक संग्राहक वाहिनी (Collecting duct) में जाता है।