हृदय चक्र एवं हृदय ध्वनि (Cardiac cycle & Heart sound)
हृदय चक्र
(Cardiac Cycle)
एक हार्ट बीट के शुरू होने से लेकर दूसरे हार्ट बीट शुरू होने तक के घटना को हृदय चक्र (Cardiac cycle) कहते हैं।
हृदय चक्र में होने वाले घटनाक्रम के चरण निम्नलिखित हैं-
हृदय के संकुचन (Contraction) को सिस्टॉल (Systole) तथा शिथिलन (Relaxation) को डायस्टॉल (Diastole) कहते हैं।
मान लीजिए की प्रारंभ में- हृदय के चारों कक्ष शिथिल (Relaxation) अवस्था में होते हैं, इसे जॉइंट डायस्टॉल (Joint Diastole) कहते हैं।
जॉइंट डायस्टॉल (Joint diastole)
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जॉइंट डायस्टॉल की अवधि 0.4 सेकेंड का होता है।
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इस समय ट्राईकस्पिड तथा बाइकस्पिड वाल्व खुले (Open) रहते हैं।
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जिससे रक्त फुफ्फुसीय शिरा (Pulmonary veins) से बाएं अलिंद (Left atrium) में, तथा महाशिरा (Vena cava) से दाएं अलिंद में आते हुए क्रमशः बाएं तथा दाएं निलय में पहुँचता है।
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इस समय सेमिलुनार वाल्व बंद (Close) रहती है।
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जॉइंट डायस्टॉल के अंत तक निलयों में रक्त 70% भर जाता है। इसे Passive filling कहते हैं।
अलिंद प्रकुंचन
(Atrial systole)
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जॉइंट डायस्टॉल के बाद S.A. नोड क्रियाविभव (Impulse) पैदा करता है और दोनों अलिंदों को संकुचित कर Atrial Systole पैदा करती है।
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इस समय निलय शिथिल अवस्था में रहते हैं, जिसे Ventricular diastole कहते हैं।
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इस क्रिया से निलयों में बचा हुआ 30% भर जाता है इसे Active filling कहते हैं।
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Atrial systole का समय अवधि 0.1 सेकेंड का होता है।
निलय प्रकुंचन
(Ventricular systole)
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Atrial systole के बाद A.V. नोड तथा Bundle of His द्वारा impulse पैदा किया जाता है।
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Bundle of His इस impulse को निलयी पेशिन्यास (Ventricular musculature) तक पहुँचाता है।
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जिससे निलयी पेशियों (Ventricular muscles) में संकुचन होता है, जिसे Ventricular systole कहते हैं।
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इस समय अलिंद शिथिल अवस्था में जाते हैं, जिसे Atrial diastole कहते हैं।
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इसका समय अवधि 0.3 सेकेंड का होता है।
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Ventricular systole में निलय का दाब बढ़ जाता है, जिससे ट्राईकस्पिड तथा बाइकस्पिड वाल्व बंद हो जाते हैं ताकि रक्त विपरीत दिशा में न जाए।
Semilunar Valve का खुलना
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Ventricular systole के दौरान निलय का दाब बढ़ते ही Semilunar valve, जो की दायीं ओर से फुफ्फुसीय धमनी (Pulmonary artery) तथा बायीं ओर से महाधमनी (Aorta) में स्थित होता है वो खुल जाता है।
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जिससे रक्त फुफ्फुसीय धमनी से फेफड़े में ऑक्सीकृत होने चला जाता है तथा महाधमनी द्वारा ऑक्सीकृत रक्त पुरे शरीर में पहुँचाया जाता है।
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इसके बाद निलय शिथिल हो जाते हैं।
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इस तरह निलय का दाब कम हो जाने से Semilunar valve बंद हो जाती है, जिससे रक्त का विपरीत प्रवाह निलय में न हो
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निलयी दाब और कम होता है जिससे अलिंद का रक्त दाब अधिक होने के कारण ट्राईकस्पिड तथा बाइकस्पिड वाल्व खुल जाते हैं।
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इस तरह पुनः फुफ्फुसीय शिरा तथा वेनाकावा से आये हुए रक्त का प्रवाह अलिंद से पुनः निलय में शुरू हो जाते हैं।
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S.A. नोड फिर से impulse उत्पन्न करती है तथा फिर यही सब प्रक्रिया दोहराते रहते हैं।
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Note-
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एक सामान्य व्यक्ति में हृदय धड़कन 72 बीट/मिनट होती है।
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प्रत्येक हृदय चक्र में निलय 70 ml रक्त पम्प करता है, जिसे प्रवाह आयतन कहते हैं।
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प्रवाह आयतन को हृदय दर से गुणा करने पर हृदय निकास कहलाता है।
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हृदय निकास दोनों निलय द्वारा रक्त की मात्रा को प्रति मिनट बाहर निकालने की क्षमता है, जो एक स्वस्थ्य मात्रा 5 लीटर होती है।
हृदय ध्वनि
(Heart Sound)
हृदय चक्र के दौरान दो ध्वनि स्टैथोस्कोप से सुनी जा सकती है।
प्रथम ध्वनि (लब- LUB) | दूसरी ध्वनि (डब- DUB) |
1. यह ध्वनि ट्राईकस्पिड तथा बाइकस्पिड वाल्व के बंद होने से सुनाई देती है। | 1. यह ध्वनि Semilunar valve के बंद होने से सुनाई देती है। |
2. इसे Ventricular systolic ध्वनि कहते हैं। | 2. इसे Ventricular diastolic ध्वनि कहते हैं। |
3. इसका समय अवधि अपेक्षाकृत अधिक होती है। | 3. इसका समय अवधि अपेक्षाकृत कम होती है। |
हृदय ध्वनि (Heart sound)