इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ एवं परिसंचरण तंत्र की विकृतियाँ (Electrocardiograph & Disorders of circulatory system)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ
(Electrocardiograph)
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ECG हृदय चक्र के दौरान हृदय का इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी का ग्राफिकल प्रस्तुतिकरण होता है।
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बीमार व्यक्ति के मानक ECG प्राप्त करने के लिए मशीन से रोगी को तीन विधुत लीड से- दोनों कलाईयाँ (Wrist) तथा बायीं ओर की एड़ी (Ankle) जोड़कर लगातार निगरानी करके विधुत हृदय लेख (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) प्राप्त क्र सकते हैं।
P- तरंग प्रस्तुत
(P-wave represents)
P- तरंग को अलिंद के उद्दीपन (excitation) या विध्रुवण (depolarization) के रूप में किया जाता है,जिसमें दोनों अलिंदों का संकुचन होता है।
QRS-कॉम्प्लेक्स प्रस्तुत
(QRS-complex represent)
यह निलय के अध्रुवण (depolarization) को प्रस्तुत करता है, जो निलय के संकुचन को शुरू करता है। संकुचन Q- तरंग के तुरंत बाद शुरू होता है, जो सिस्टॉल की शुरुआत का द्योतक (Marks) है।
T- तरंग प्रस्तुत
(T-wave represent)
यह निलय का उत्तेजना से सामान्य अवस्था में वापिस आने की स्थिति को प्रदर्शित करता है। T- तरंग का अंत सिस्टॉल अवस्था की समाप्ति का द्योतक है।
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स्पष्टतया, एक निश्चित समय में QRS-complex की संख्या गिनने पर एक मनुष्य के हृदय स्पंदन दर भी निकाली जा सकती है।
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अलग-अलग व्यक्तियों में ECG की संरचना एवं आकृति सामान्य होती है। इस आकृति में कोई परिवर्तन किसी संभावित असमान्यता या बीमारी (Abnormality or disease) को इंगित करती है।
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इसकी चिकित्सीय महत्ता बहुत ज्यादा है-
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P-तरंग का विस्तार होना- अलिंद का आकर बढ़ा होने को सूचित करता है।
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R-तरंग का बढ़ा होना- मायोकार्डियल इंफार्कशन को सूचित करता है।
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S-T interval का बढ़ा होना- मायोकार्डियल इंफार्कशन को सूचित करता है।
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**T-**तरंग flat या S-T interval कम होना- मायोकार्डियल इश्मिया को सूचित करता है।
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सीधे रेखा के साथ पीप-पीप-पी------- की आवाज- कार्डियक अरेस्ट को सूचित करता है।
परिसंचरण तंत्र की विकृतियाँ
(Disorders of circulatory system)
उच्च रक्त दाब (हाईपरटेंशन)
(High blood pressure)
हाइपरटेंशन रक्त दाब की वह अवस्था है, जिसमें रक्त चाप समान्य (120/80) से अधिक होता है। यदि किसी का रक्त दाब बार-बार मापने पर भी 140/90 या इससे अधिक होता है तो यह हाइपर्टेंशन प्रदर्शित करता है।
- उच्च रक्त दाब हृदय की बीमारियों को जन्म देता है तथा अन्य महत्वपूर्ण अंगों जैसे- मस्तिष्क तथा वृक्क जैसे अंगों को प्रभावित करता है।
हृदय धमनी रोग-CAD
(Coronary artery disease)
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हृदय धमनी बीमारी को एथिरोस सक्लेरोसिस के रूप में संदर्भित किया जाता है, जिसमें हृदय पेशी को रक्त की आपूर्ति करने वाली वाहिनियाँ प्रभावित होती है।
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यह बीमारी धमनियों के अंदर कैल्सियम, वसा तथा अन्य रेशीय उत्तकों के जमा होने से होता है।
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जिससे धमनी की ल्यूमेन संकरी (Narrow) हो जाती है।
हृदयशूल (Angina)
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इसको एंजाइना पेक्टोरिस भी कहते हैं। हृदय पेशी में जब पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँचती है तब सीने में दर्द होता है जो एंजाइना की पहचान है।
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एंजाइना स्री या पुरुष दोनों में किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन मध्यावस्था तथा वृद्धावस्था में यह सामान्यतः होता है।
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यह अवस्था रक्त बहाव के प्रभावित होने से होती है।
हृदयपात
(Heart failure)
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हृदयपात वह अवस्था है जिसमें हृदय शरीर के विभिन्न भागों को आवश्यकतानुसार पर्याप्त रक्त आपूर्ति नहीं कर पाता है।
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इसको कभी-कभी संकुलित हृदयपात (Congestive heart failure) भी कहते हैं, क्योंकि फुफ्फुस का संकुलन (Congestion) हो जाना भी उस बीमारी का प्रमुख लक्षण है।
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हृदयपात ठीक हृदयघात की भांति नहीं होता। जहाँ हृदयघात में हृदय की धड़कन बंद हो जाती है।
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जबकि, हृदयपात में हृदयपेशी (Cardiac muscle) को रक्त आपूर्ति अचानक अपर्याप्त हो जाने से क्षति पहुँचती है।